जन साधारण को हीट वेव से बचाव हेतु निम्न उपाय प्रयोग में लाने हेतु परामर्श / सुझाव “पशुपालकों के लिये निर्देश” हमीरपुर /08 अप्रैल 2024

जन साधारण को हीट वेव से बचाव हेतु निम्न उपाय प्रयोग में लाने हेतु परामर्श / सुझाव “पशुपालकों के लिये निर्देश”
हमीरपुर /08 अप्रैल 2024

अमित सिंह की रिपोर्ट

मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि दैवीय आपदा (हीट वेव) की स्थिति में पशुपालक को उचित प्रबंधन कर अपने पशु एवं कुक्कुट पक्षियों को लू लगने से बचा सकते हैं। तू से पशुओं को बचाने के लिये निम्न सुझाव दिये जा रहे हैं।

1. पशुओं को चराई के लिये प्रातः ही भेजें तथा दोपहर से पूर्व ही वापिस बुला लें।

2. चराई के लिये पशुओं को ज्यादा दूर न ले जायें तथा छायादार जंगल आदि स्थान का ही प्रयोग करें।

3. पशु को चराई के लिये ले जाते समय तथा लौटते समय स्वच्छ पानी अवश्य पिलवायें।

4. पशुओं की बीमारी से बचाने के लिये मार्क-4 हैंडपम्प के स्वच्छ पानी का ही प्रयोग करें।

5. पशुओं की चराई जल की उपलब्धता वाले स्थान के निकट ही करें।

6. पशु को दिन में एक बार अवश्य नहलवायें।

7. पशुशाला की खिड़की एवं दरवाजों पर जूट के बोरों को भिगोकर प्रयोग करें जिससे ठंडी हवा आ सकें।

8. पशुशाला की छत, टीन/एस्बेस्टस या सीमेन्ट की होने पर टीन के ऊपर गन्ने की पत्ती अथवा पुवाल/घास फूस का बिछावन प्रयोग कर तापमान कम करें।

9. सक्षम पशुपालक पशुशाला में स्प्रिंकलर के द्वारा जल का छिडकाव करें एवं पंखों / कूलर का प्रयोग करें तभी उचित उत्पादन प्राप्त किया जा सकेगा।

10. मुर्गी शाला में पर्याप्त मात्रा में जल एवं राशन की मात्रा रखें।

11. पशु-पक्षी लू लगने पर यदि तेज बुखार एवं अन्य लक्षण प्रदर्शित कर रहे हों तो तत्काल जल पिलायें तथा निकटवर्ती पशुचिकित्सक से सम्पर्क करें।

12. सिंचाई के अभाव से चरी, जहरीली होने पर उस चरी का प्रयोग कदापि न करें।

13. विषाक्त चरी के सेवन के उपरांत पशु की जीवन रक्षा हेतु या अन्य बिमारी की दशा में अपने निकटवर्ती राजकीय पशुचिकित्सालय से सम्पर्क करें।

14. पशु चिकित्सक द्वारा दिये गये निर्देशों / सुझावों का पालन करें।

15. मानसून आने से पूर्व ही गला घोटू बीमारी से बचाव का टीका अपने पशु को शीघ्र ही लगवायें यह टीका निःशुल्क लगाया जाता है।

16. आपदा की स्थिति में पशु को राहत शिविर में ले जाये जहां आहार, पानी तथा उपचार की व्यवस्था की जाती है।

17. भेड/बकरियों को चराई के दौरान विषाक्तता होने पर तत्काल पानी में मिलाकर जीवन रक्षक दवा का प्रयोग करें।

18. किसी भी आपातकालीन स्थिति में विभागीय जनपद स्तर पर कन्ट्रोल रूम नम्बर 05282-222519 पर या नजदीकी पशुचिकित्सालय से सम्पर्क करें, घर के बाहर छायादार स्थान पर कटोरे में पानी भरकर रख दें जिससे कि अन्य पक्षी भी पानी पी सकें।

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