Cmo सीतापुर,योगीराज में कानून के साथ खिलवाड़ आसान नहीं

प्रकाशक संपादक अनुपम अवस्थी की खास रिपोर्ट

ध्यान दें सीएमओ सीतापुर,योगीराज में कानून के साथ खिलवाड़ आसान नहीं

∆आखिरकार सीएमओ कब-तक बचा पाएंगे अपने मातहतों को बना सवाल
∆आवेदक ने की अपील,आयोग में खड़े हो जन सूचना अधिकारी
सीतापुर। उत्तर प्रदेश सरकार की कड़ी कार्यशैली और त्वरित फैसलों को लेकर जन मानस में प्रदेश सरकार की एक अलग छवि स्थापित हुई जिसकी काफी प्रशंसा हो रही है और इसी को लेकर 2017 के बाद पुन: 2022 में पूर्ण बहुमत से सरकार बनी और योगी नेतृत्व को पुनः एक बार प्रदेश की कमान की जिम्मेदारी दी गई। परंतु अब ऐसा क्यों लग रहा है की सरकार की दिशा निर्देशों पर गौर नहीं किया जा रहा है सरकार में बैठे अधिकारी कहीं न कहीं जनता को लग रहा है कि किसी को बचाने का प्रयास कर रहे हैं ऐसा लग रहा है। जिसके लिए सरकार द्वारा दिए गए जनता के हितों के लिए कानूनी प्रावधानों को भी अधिकारी नहीं मान रहे हैं और आरटीआई जैसा कानून भी ऐसे अधिकारियों के आगे जनमानस की मदद नहीं कर पा रहा है,यह कानून बेबस और लाचार हो गया है,अधिकारियों की साठ-गांठ को लेकर आखिर क्या है! बताते चलें कि आरटीआई के द्वारा सीएमओ सीतापुर और अधीक्षक गया प्रसाद मेहरोत्रा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिसवां से सूचनाएं मांगी गई थी परंतु समयावधि पूरी हो जाने के बावजूद भी आवेदन कर्ता को वह सूचनाएं प्राप्त नहीं कराई गई। जो अपने आप में यह स्पष्ट करता है कि उच्च अधिकारी भी किस तरीके से कानून का मजाक बना रहे हैं परंतु ध्यान दें सीएमओ योगीराज में कानून के साथ खिलवाड़ आसान न होगा जवाब तो देना ही होगा। क्या इसी तरीके से होता है कानून का पालन जब कोई जानकारी सूचना के अधिकार अधिनियम(2005)के तहत कानूनन मांगी जाए,तो उस आवेदन कर्ता को 30 दिनों के अंदर सूचना उपलब्ध कराना कानून के अंतर्गत अनिवार्य है।परंतु सूचना न प्राप्त कराने का क्या मकसद है!क्या सीएमओ सीतापुर सूचनाओं को गोपनीय रखकर,आखिरकार कब तक बचा पाएंगे मातहतो को सवाल बन चुका है!तो वहीं अधीक्षक बिसवां सीएचसी का भी वही हाल रहा अपनी उच्च अधिकारी के सुर में सुर मिलाते हुए उन्होंने भी आरटीआई का उत्तर देना मुनासिर नहीं समझा।फिलहाल देखना यह होगा की कब तक सूचनाओं को दबाकर गोपनीय रख पाएंगे यह जन सूचना अधिकारी; क्या इन सूचनाओं में कुछ ऐसा है जो गले की फांस बन सकता है जिसके लिए यह सूचनाओं आवेदन कर्ता को नहीं प्राप्त कराई गई।तो उधर आवेदन कर्ता ने भी इन सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए प्रथम अपील कर दी है।जहां एक जन सूचना अधिकारी अधीक्षक सीएचसी बिसवां की सीएमओ सीतापुर से की गई है तो उसे पर आवेदन कर्ता का यह मानना है कि जब सीएमओ सीतापुर से सूचना मांगी गई तो उनके द्वारा नहीं प्राप्त कराई गई तो इस अपील पर क्या वह सूचना प्राप्त करवाएंगे! सीएमओ की ओर से सूचनाएं न प्राप्त होने पर महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के पास प्रथम अपील की गई है,अब इस अपील के बाद क्या सूचनाओं प्राप्त हो जाएगी यह तो आने वाला वक्त तय करेगा लेकिन सूचनाएं न मिलने पर सवाल खड़ा होता है क्या राज्य सूचना आयोग में खड़े हो जबाब देना होगा जन सूचना अधिकारी को?फिलहाल इस पर अभी कुछ भी कहना मुमकिन नहीं है लेकिन सूत्रों की माने तो आगे प्रथम अपील पर सूचनाएं प्राप्त न हुई,तो आवेदक द्वारा राज्य सूचना आयोग में अपील की जाएगी। फिलहाल जिस तरह से आरटीआई कानून पर जबाबदेय अधिकारीयों का रवैया है उससे यह पता अवश्य चल रहा है कि अधिकारी नियमों के प्रति लापरवाह हैं और शासन के नियम निर्देश और कानून क्या हैं इससे कोई सरोकार नहीं।

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