ब्लाक के कार्यालयो में न बैठ कर किराये के आवास में निजी कार्यालय चला रहे हैं मिश्रित ब्लॉक के कई पंचायत सचिव।

संपादक अनुपम अवस्थी के साथ पूर्णेन्द्र मिश्रा की खास रिपोर्ट

ब्लाक के कार्यालयो में न बैठ कर किराये के आवास में निजी कार्यालय चला रहे हैं मिश्रित ब्लॉक के कई पंचायत सचिव।

(खण्ड विकास अधिकारी सहित अन्य जिम्मेदार भी दूषित नीतियों के चलते बने हुये है पूरी तरह से उदासीन)

सीतापुर-जनवरी/एक तरफ ग्राम्य विकास को लेकर प्रदेश सरकार कटिबध्द होकर जहां कड़े निर्देश जारी कर रही है,वहीं जिले के मिश्रित ब्लाक में दूसरी जगहो से स्थानान्तरित होकर आये कई ग्राम पंचायतों के सचिवो ने ब्लाक कार्यालय के सामने स्थित रीजेन्सी पब्लिक स्कूल के पीछे मो०शंकर नगर में किराये का एक आवास लेकर संयुक्त रूप से अपना कार्यालय संचालित कर रहे है जो विकास खण्ड कार्यालय को खुले आम मुंह चिढ़ा रहा हैं, बताते चलें कि इन निरंकुश पंचायत सचिवों की कार्य प्रणाली के आगे खण्ड विकास अधिकारी भी पूरी तरह से लाचार बने हुये हैं।गौरतलब है कि किराये के प्राइवेट आवास को कार्यालय के रूप में इस्तेमाल करने वाले इन पंचायत सचिवों को जो ग्राम पंचायतें ब्लाक कार्यालय द्वारा आवण्टित की गई हैं उनकी दशा और दिशा दोनों बदहाल स्थितियों में हैं सम्बन्धित ग्रामीण विकास को तरस रहे हैं जब कि उच्च संरक्षण प्राप्त इन सचिवों की मनमानी के आगे ग्राम प्रधान भी लाचार बने हुये हैं जब कि गांवों में विकास कार्यों के लिये सरकार द्वारा आवण्टित भारी भरकम धनराशि कागजों पर तो व्यय हो रही है लेकिन सम्बन्धित कार्य मौके से नदारत ही हैं।जानकार सूत्र बताते हैं कि कूड़ा अपशिष्ट प्रबन्धन केन्द्र निर्माण के साथ ही कान्सट्रक्शन आफ सेनेटरी टायलेट के नाम पर कई कई लाख रुपये की भारी भरकम धनराशि खर्च होकर फुर्र हो चुकी है लेकिन अधिकान्श ग्राम पंचायतों में कान्स्ट्रक्शन आफ सेनेटरी टायलेट नाम की कोई चीज निर्मित नहीं दिखाई दे रही है।इतना ही नहीं सामुदायिक शौचालय निर्माण के नाम पर भी इस ब्लाक में बीते समय भारी खेल हो चुका है-महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग शौचालय कक्ष बनवाये जाने थे लेकिन कई ग्राम पंचायतों में एक ही कमरे के बराबर खाना पूर्ति करते हुए कुछ सीटें स्थापित करवा कर सामुदायिक शौचालयों का रूप दे दिया गया है । मजेदार बात तो यह है कि भारी भरकम धनराशि खर्च होने के बाद भी ऐसे कार्यों की एम बी पता नहीं कैसे हो गई है कागजों पर तो सब कुछ चाक चौबन्द है लेकिन जमीनी हकीकत कोसों दूर नजर नहीं आ रही है।गौरतलब यह भी है कि ब्लाक के ठीक सामने बसे मोहल्ला शंकर नगर में एक मकान किराये पर लेकर इस ब्लाक में अभी हाल ही में स्थानान्तरित होकर आये सेक्रेटरी सन्दीप कुमार,वीरेंद्र कुमार गुप्ता, विनीत कुमार,केशव कुमार राना,और मयूरेश राय ने अपना निजी कार्यालय बना रखा है और वे अपनी आवण्टित ग्राम पंचायत के प्रधानों को इसी प्राइवेट आवास के कथित कार्यालय में बुलाकर पता नहीं कौन सा गुल खिलाते हैं जिसका प्रमाण इस सचिवों को आवंटित ग्राम पंचायतो का निरीक्षण करके उच्चाधिकारी स्वयं देख सकते हैं।इसी तरह ब्लाक कार्यालय से चन्द कदम आगे विद्युत पावर हाउस के समीप एक प्राइवेट आवास में सचिव अमित कुमार साहू , राम लखन वर्मा और टी ए रामाशंकर वर्मा ने अपना कार्यालय बना रखा है यह लोग भी अपनी आवण्टित ग्राम पंचायत के प्रधानों को अपने इस व्यक्तिगत कार्यालय में बुलाकर ग्राम विकास की आवण्टित सरकारी धनराशि को जमकर चूना लगाने का कार्य कर रहे हैं।गौर तलब तो यह भी है कि प्राइवेट आवास में ब्लाक कार्यालय के मानिन्द अपना निजी कार्यालय चलाने वाले इन सचिवों ने अपने इस कथित कार्यालय में कम्प्यूटर सिस्टम और व्यक्तिगत आपरेटर भी लगा रखे हैं जिनसे पंचायत सचिव अपनी आवण्टित ग्राम पंचायतो के सारे कार्यों की फीडिंग आदि कराने का काम करते हैं और स्वयं ब्लाक कार्यालय पर आकर कार्य करना मुनासिब नहीं समझते हैं।गौर तलब यह भी है कि सभी ग्राम पंचायतों में शासन द्वारा पंचायत सहायकों की नियुक्ति की गई है और कम्प्यूटर सिस्टम भी उपलब्ध कराया है इन पंचायत सहायको को पंचायत भवन में बैठकर ग्राम सभा की सारी फाडिंग आदि करने का नियम भी निर्धारित किया गया है जो पूरी तरह से मिश्रित ब्लाक में फेल चल रहा है। विचारणीय यह भी है कि बड़ी सरकारी धनराशि खर्च करके ब्लाक कार्यालय प्रांगण में स्थित सरकारी आवास और कार्यायलयों की अभी हाल ही में मरम्मत रंगाई,पुताई, तथा फिनसिग आदि कराई गई है जो पूरी तरह खाली होकर ताला बन्द पड़े हैं । ऐसी स्थिति में ग्राम पंचायत सचिवों द्वारा प्राइवेट आवास लेकर ब्लाक कार्यालय के मानिन्द निजी कार्यालय चलाना किस नियम का अंग है के बाबत कोई भी जिम्मेदार सटीक जवाब नहीं दे रहा है ऐसे में कैसे साकार होगा हो पायेगा ग्राम्य विकास का सपना-?क्या प्रदेश शासन और जिला प्रशासन जांच कराकर इन निरंकुश कर्मचारियों के विरुद्ध कोई दण्डात्मक कार्यवाही करेगी या सब कुछ बहती गंगा में हाथ धोने वाली कहावत के अनुरूप ऐसे ही चलता रहेगा लोगों में एक अहम प्रश्न बना हुआ है।

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